Cost cutting: नई कार के लिए लाखों रुपये चुकाने के बाद भी ग्राहक होते हैं नुकसान, जानिए कंपनियों के ये पैसे बचाने के तरीके
Cost cutting: आज के समय में जब ग्राहक नई कार खरीदते हैं, तो वे न केवल उसके लुक, परफॉर्मेंस, बल्कि उसमें दिए गए फीचर्स पर भी ध्यान देते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कार कंपनियां कैसे कुछ फीचर्स में कटौती कर ग्राहकों को नुकसान पहुंचा रही हैं? आइए जानते हैं कि ये कंपनियां किस प्रकार से लागत में कटौती करती हैं और इससे ग्राहकों को किन-किन फीचर्स की कमी महसूस होती है।
1. फॉग लाइट्स का हटाना
कार कंपनियां अक्सर एक ही मॉडल के कई वेरिएंट्स पेश करती हैं। लेकिन जो वेरिएंट्स कम कीमत पर होते हैं, उनमें कई महत्वपूर्ण फीचर्स हटा दिए जाते हैं। इनमें से एक है फॉग लाइट्स। आजकल, फॉग लाइट्स केवल टॉप वेरिएंट्स में ही दिए जाते हैं, जबकि पहले यह मिड वेरिएंट्स में भी उपलब्ध होती थीं। इससे कंपनियों को बहुत बड़े पैमाने पर लागत में कटौती करने में मदद मिलती है।
2. हैलोजन लाइट्स का उपयोग
नई तकनीक के युग में, ग्राहक एलईडी लाइट्स को प्राथमिकता देते हैं। फिर भी, कई वेरिएंट्स में लागत बचाने के नाम पर हैलोजन लाइट्स ही प्रदान की जाती हैं। यदि कोई ग्राहक अपनी कार में एलईडी लाइट्स चाहता है, तो उसे इसके लिए अतिरिक्त पैसे चुकाने पड़ते हैं। इससे कंपनियों को बहुत लाभ होता है और ग्राहकों को सुविधाओं में कमी का सामना करना पड़ता है।
3. इंटीग्रेटेड हेडरेस्ट
ग्राहक आमतौर पर हैलोजन लैंप और फॉग लाइट्स पर ध्यान देते हैं, लेकिन इंटीग्रेटेड हेडरेस्ट एक ऐसा फीचर है, जिसमें कंपनियां चतुराई से पैसे बचाती हैं। कुछ कारों में, हेडरेस्ट को सीट के साथ जोड़ा जाता है और इसे आवश्यकतानुसार समायोजित नहीं किया जा सकता। इस फीचर से कंपनियों को हजारों रुपये की बचत होती है, और ग्राहकों को इसकी जानकारी भी नहीं होती।
4. डिफॉगर, वाइपर और वॉशर
भारत में बिकने वाले अधिकांश एसयूवी वाहनों में डिफॉगर, वाइपर और वॉशर जैसी सुविधाएँ कम ही देखने को मिलती हैं। ये सुविधाएँ आमतौर पर केवल टॉप वेरिएंट्स में उपलब्ध होती हैं। इससे ग्राहकों को मुश्किल का सामना करना पड़ता है, खासकर बारिश के दिनों में।
5. बूट लाइट
भारत में लोग अपनी कारों का उपयोग केवल यात्रा के लिए नहीं करते हैं, बल्कि वे सामान भी ले जाते हैं। बूट स्पेस में सामान रखने के लिए, कंपनियां अक्सर कम कीमत वाली कारों में बूट लाइट हटा देती हैं। जबकि महंगे वेरिएंट्स में यह सुविधा दी जाती है। रात के समय बूट का उपयोग करते समय लाइट का होना बहुत सुविधाजनक होता है, लेकिन इसकी कमी से ग्राहकों को असुविधा होती है।
6. स्टेपनी का छोटा आकार
अधिकांश कंपनियां अपनी कारों में स्टेपनी देती हैं, लेकिन इसका आकार अक्सर छोटा होता है। यदि किसी वाहन के चार पहियों का आकार 16 इंच है, तो स्टेपनी का आकार केवल 15 इंच दिया जाता है। इस तरह से कंपनियां हजारों रुपये बचाती हैं और वजन कम करने का लाभ भी प्राप्त करती हैं।
7. समान भागों का उपयोग
कंपनियां अपने पोर्टफोलियो को बड़ा दिखाने के लिए कई कारों की पेशकश करती हैं। लेकिन कुछ कारों में समान भागों का उपयोग किया जाता है, जिससे लागत में कमी आती है। जब एक ही भाग का उपयोग कई कारों में किया जाता है, तो कंपनियां अधिक लाभ प्राप्त करती हैं। इस रणनीति से वे लागत कम करके ग्राहकों को कम कीमत में उत्पाद पेश कर सकती हैं।
8. ग्राहकों को क्या करना चाहिए?
ग्राहकों को चाहिए कि वे कार खरीदने से पहले उसकी सभी सुविधाओं की गहन जानकारी प्राप्त करें। उन्हें चाहिए कि वे न केवल कीमत पर ध्यान दें, बल्कि यह भी जानें कि कार में क्या-क्या फीचर्स दिए गए हैं। इससे वे बेहतर निर्णय ले सकेंगे और अपनी अपेक्षाओं के अनुसार कार का चयन कर सकेंगे।
कार कंपनियों की लागत में कटौती की ये तकनीकें ग्राहक को बहुत बार नुकसान पहुंचा सकती हैं, विशेष रूप से जब वे लाखों रुपये खर्च कर रहे हों। ग्राहकों को यह समझना होगा कि उनकी पसंद और निर्णय ही कंपनियों को उनके उत्पादों की गुणवत्ता और सुविधाओं में सुधार करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
इसलिए, अगली बार जब आप नई कार खरीदने जाएं, तो सुनिश्चित करें कि आप हर छोटे-छोटे फीचर की जानकारी रखते हैं। यह आपकी मेहनत की कमाई का मामला है और आपको यह सुनिश्चित करने का हक है कि आप जो भुगतान कर रहे हैं, उसके अनुसार आपको सर्वोत्तम सुविधाएं मिलें। इस प्रकार, ग्राहक अपनी खरीदारी को लेकर सतर्क रहकर न केवल अपनी जेब की रक्षा कर सकते हैं, बल्कि कंपनियों को भी यह संदेश दे सकते हैं कि वे अपने उत्पादों में गुणवत्ता को बनाए रखें।